आज हम बात करेंगे Pimpri-Chinchwad की, जो पुणे जिले का एक प्रमुख औद्योगिक शहर है। लगातार भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण यहां बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है।भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने पुणे जिले के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। इसमें 40–60 किमी प्रति घंटा की तेज हवाओं और भारी वर्षा की चेतावनी दी गई है।
आज, 21 अगस्त 2025 को भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों को सतर्क रहने और सुरक्षा नियमों का पालन करने की सलाह दी है।इस ब्लॉग में हम बाढ़ की स्थिति पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इसमें कारण, प्रभावित क्षेत्र, प्रभावित परिवार, सरकारी कार्रवाई और भविष्य की सावधानियां शामिल हैं। हमारा उद्देश्य है कि हम आपको सटीक जानकारी दें ताकि आप सुरक्षित रह सकें।
Pimpri-Chinchwad बाढ़ के कारण

Pimpri-Chinchwad में बाढ़ की मुख्य वजह लगातार हो रही मूसलाधार बारिश है, जो पिछले 24-48 घंटों से जारी है। पवना, मुलशी और खडकवासला जैसे बांधों के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण ये बांध अपनी क्षमता के करीब पहुंच गए हैं। उदाहरण के लिए, पवना बांध 99.42% भरा हुआ है, जबकि मुलशी बांध 97.4% पर है। इससे बांधों से पानी की निकासी बढ़ानी पड़ी है।
पवना बांध से सुबह 2,860 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो दोपहर तक 5,660 क्यूसेक और शाम तक 15,570 क्यूसेक हो गया। मुलशी बांध से 25,400 क्यूसेक पानी निकाला गया, जो मूला नदी में बहता है। कुल मिलाकर, इन बांधों से 50,000 क्यूसेक तक पानी छोड़ा गया है, जिससे पवना, मूला, मुथा और इंद्रायणी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है।
यह स्थिति सिर्फ आज की नहीं है; मंगलवार से ही बारिश ने शहर को प्रभावित किया है। आईएमडी की रेड अलर्ट के अनुसार, कैचमेंट एरिया में और वर्षा की संभावना है, जिससे बांधों का जलस्तर और बढ़ सकता है। इतिहास में देखें तो 2005 में भी इसी तरह पवना और मुलशी बांधों से 45,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से रिकॉर्ड बाढ़ आई थी, और स्थानीय निवासी डोमिनिक लोबो ने कहा कि “उस समय Pimpri-Chinchwad में रिकॉर्ड बाढ़ आई थी, और नदी किनारे के निवासियों को सतर्क किया जाना चाहिए।” इस बार भी, रात के समय पानी की निकासी का प्रभाव महसूस किया जा रहा है, जिससे नदी किनारे के इलाकों में खतरा बढ़ गया है।
Pimpri-Chinchwad प्रभावित क्षेत्र और लोगों पर असर

बाढ़ ने Pimpri-Chinchwad के कई निचले इलाकों को प्रभावित किया है। मुख्य रूप से भटनगर, केशवनगर, जाधव घाट, कालेेवाड़ी, पिंपले निलख, बोपखेल, संजय गांधी नगर, पुरानी संगवी, पिंपले गुराव, कीवाले, पंचशील नगर, रामनगर, लक्ष्मीनगर और मुलानगर जैसे क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। इनमें से कई झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके हैं, जहां नदियों के किनारे बसे लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कीवाले से कम से कम 350 निर्माण मजदूरों को निकाला गया है। घरों में पानी घुसने से फर्नीचर, बिजली के उपकरण और अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
लगभग 1,127 लोग, जो 340 परिवारों से हैं, प्रभावित हुए हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। इनमें से वार्ड A में 242, वार्ड B में 380, वार्ड D में 14, वार्ड E में 102 और वार्ड H में 260 लोग शामिल हैं। निवासियों की कहानियां दिल दहला देने वाली हैं। संजय गांधी नगर के मोहन यादव ने कहा, “समय पर अलर्ट मिला, वरना सब कुछ बह जाता।
लेकिन कुछ उपकरण तो खराब हो ही गए।” वहीं, भटनगर की लक्ष्मीबाई पवार ने बताया कि “घर में पानी घुस आया, लेकिन पीसीएमसी की टीम ने हमें समय पर निकाला।” इसके अलावा, ट्रैफिक बुरी तरह प्रभावित हुआ है, सड़कें बंद हैं, और दैनिक जीवन ठप हो गया है। मोरया गोसावी मंदिर जैसी धार्मिक स्थल भी जलमग्न हो गए हैं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
सरकारी कार्रवाई और बचाव कार्य
Pimpri-Chinchwad नगर निगम (पीसीएमसी) ने स्थिति को संभालने के लिए त्वरित कार्रवाई की है। मंगलवार से बुधवार शाम तक 1,127 लोगों को निकालकर राहत केंद्रों में स्थानांतरित किया गया। ये केंद्र स्कूल, सामुदायिक हॉल और अन्य सुरक्षित जगहों पर हैं, जहां भोजन, पीने का पानी, बिजली, चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। पीएमपीएमएल बसों से लोगों को ले जाया गया। आपदा प्रबंधन सेल सभी जोनल ऑफिस में सक्रिय है, जिसमें फायर ब्रिगेड, स्वास्थ्य टीम, ठोस कचरा प्रबंधन स्टाफ शामिल हैं। नावें, एंबुलेंस और वाहन तैनात हैं।
नगर आयुक्त शेखर सिंह ने कहा, “हमारी सभी टीमें हाई अलर्ट पर हैं। मैं निवासियों से अपील करता हूं, खासकर नदी किनारे रहने वालों से, कि वे सतर्क रहें और प्रशासन के साथ सहयोग करें।” उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, जैसे मुलानगर और पवना नदी। सिंचाई विभाग, आईएमडी, सी-डैक और ट्रैफिक पुलिस के साथ समन्वय है। लाउडस्पीकर से अलर्ट दिए जा रहे हैं, और रेडियो, एफएम चैनलों से जानकारी प्रसारित हो रही है। बाढ़ के बाद सफाई, फॉगिंग और स्वास्थ्य जांच तेज की गई है ताकि मौसमी बीमारियां न फैलें।
हेल्पलाइन नंबर: पीसीएमसी कंट्रोल रूम – 020-67331111 / 020-28331111, फायर डिपार्टमेंट – 7030908991, सारथी हेल्पलाइन – 8888006666। शाम तक पानी की निकासी कम होने से जलस्तर घट रहा है, लेकिन अलर्ट बरकरार है।
भविष्य की सावधानियां
आईएमडी के अनुसार, आने वाले दिनों में और वर्षा हो सकती है, इसलिए सतर्कता जरूरी है। निवासियों को सलाह है कि उबला या फिल्टर पानी पिएं, नदी किनारे न जाएं, और मूल्यवान सामान ऊंची जगह रखें। पशुओं और उपकरणों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं। शहर में जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि हर मानसून में ऐसी स्थिति आती है।
पिछले वर्षों की तुलना में, इस बार प्रशासन की तैयारी बेहतर है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकार को बांध प्रबंधन और बाढ़ चेतावनी सिस्टम पर ध्यान देना चाहिए।
Pimpri-Chinchwad की बाढ़ स्थिति गंभीर है, लेकिन प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से बड़ा नुकसान टाला गया है। आज की अलर्ट हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के सामने सावधानी ही बचाव है। यदि आप प्रभावित क्षेत्र में हैं, तो तुरंत हेल्पलाइन संपर्क करें। हम उम्मीद करते हैं कि स्थिति जल्द सामान्य हो। अधिक अपडेट के लिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहें। सुरक्षित रहें!
