GEN Z protests in Nepal 2025 युवाओं ने क्यों उठाया बगावत का झंडा?

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सितंबर 2025 में नेपाल ने एक ऐसा ऐतिहासिक आंदोलन देखा, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। इसे “GEN Z protests in Nepal” के नाम से जाना गया। यह आंदोलन केवल एक साधारण विरोध नहीं था, बल्कि नेपाल के युवाओं की निराशा, गुस्से और बदलाव की भूख का प्रतीक था। इसमें भाग लेने वाले अधिकांश लोग 28 वर्ष से कम उम्र के थे,

जो सोशल मीडिया युग में पले-बढ़े हैं और पारदर्शिता, अवसर और न्याय की मांग कर रहे थे। भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और सरकार द्वारा लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध इस आंदोलन के प्रमुख कारण बने। विरोध इतना तीव्र हुआ कि कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हुए। यह आंदोलन नेपाल के लोकतंत्र, राजनीति और युवाओं की शक्ति पर गहन प्रभाव डालने वाला साबित हुआ।

GEN Z protests in Nepal के मुख्य कारण

1. GEN Z protests in Nepal सोशल मीडिया पर प्रतिबंध
4 सितंबर 2025 को नेपाल सरकार ने अचानक 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स (ट्विटर) और व्हाट्सएप शामिल थे। सरकार का कहना था कि ये कंपनियां स्थानीय कानूनों और पंजीकरण आवश्यकताओं का पालन नहीं कर रही थीं। लेकिन युवाओं के लिए सोशल मीडिया केवल मनोरंजन का साधन नहीं था, बल्कि शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता का आधार भी था। हजारों कंटेंट क्रिएटर्स और छोटे व्यवसाय इस पर निर्भर थे। प्रतिबंध ने युवाओं की रोज़मर्रा की जिंदगी और उनके भविष्य पर सीधा प्रहार किया।

2. GEN Z protests in Nepal ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रोश
नेपाल में भ्रष्टाचार लंबे समय से एक गहरी समस्या रही है। नेताओं और उनके परिवारों की ऐशो-आराम भरी जिंदगी आम जनता के गुस्से का कारण बनी। “नेपो किड्स” नामक ट्रेंड ने इस मुद्दे को और हवा दी, जिसमें नेताओं के बच्चों की महंगी गाड़ियाँ, विदेश यात्राएँ और आलीशान पार्टियाँ उजागर की गईं। 2017 का नेपाल एयरलाइंस का एयरबस सौदा, जिसमें 1.47 अरब रुपये की हानि हुई थी, जनता की स्मृति में ताजा था और यह भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया। युवाओं का मानना था कि इस तरह की लापरवाह और भ्रष्ट गतिविधियाँ उनके भविष्य को बर्बाद कर रही हैं।

3. आर्थिक असमानता और बेरोजगारी
नेपाल का औसत वार्षिक आय केवल $1,300 है, जबकि युवा बेरोजगारी दर 19.2% तक पहुँच चुकी है। यह आंकड़े बताते हैं कि नेपाल के युवा न तो पर्याप्त रोजगार पा रहे हैं और न ही अपनी शिक्षा का सही उपयोग कर पा रहे हैं। बेहतर अवसरों की तलाश में हजारों युवा हर साल खाड़ी देशों और मलेशिया की ओर पलायन करते हैं। इस पलायन ने नेपाल में “ब्रेन ड्रेन” की समस्या को और गहरा कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि भ्रष्ट नेताओं की नीतियों के कारण युवाओं को अपने ही देश में अवसर नहीं मिल रहे।

4. सोशल मीडिया का प्रभाव और “नेपो किड्स” अभियान
डिजिटल युग में सोशल मीडिया आंदोलनों का प्रमुख हथियार बन गया है। टिकटॉक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल हुए वीडियो ने नेताओं के बच्चों की विलासिता को उजागर किया। #NepoKids और #NepoBaby जैसे हैशटैग लाखों बार उपयोग किए गए। युवाओं का मानना था कि जबकि वे बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे हैं, वहीं नेताओं के परिवार भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति पर मौज-मस्ती कर रहे हैं। यह असमानता गुस्से की आग में घी डालने जैसा था।

प्रमुख घटनाक्रम

GEN Z protests in Nepal 8 सितंबर 2025 news
काठमांडू की सड़कों पर हजारों की भीड़ उतर आई। प्रदर्शनकारी हाथों में झंडे, बैनर और पोस्टर लिए नारेबाजी कर रहे थे। कई छात्र स्कूल और कॉलेज की यूनिफॉर्म में शामिल हुए। संसद भवन की ओर बढ़ती भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने लाइव गोलियों का भी प्रयोग किया। इस दिन की झड़पों में कम से कम 19 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। यह घटना नेपाल के हाल के इतिहास की सबसे हिंसक घटनाओं में से एक मानी गई।

GEN Z protests in Nepal 9 सितंबर 2025 news
हिंसा और बढ़ गई। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और राजनीतिक दलों के मुख्यालयों पर हमला किया। कई नेताओं के घरों में आग लगा दी गई। सबसे गंभीर घटना तब हुई जब पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर पर हमला हुआ और उनकी पत्नी, रज्यलक्ष्मी चित्रकार की मौत हो गई। देशभर में अराजकता फैल गई। बढ़ते दबाव में प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया और सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटाने की घोषणा की।

GEN Z protests in Nepal 10 सितंबर 2025 news updates
कर्फ्यू लगाने के बावजूद लोग सड़कों पर उतरे। सरकार ने सेना को सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने यह दिखा दिया कि वे किसी राजनीतिक दल के एजेंडे का हिस्सा नहीं, बल्कि स्वतंत्र युवा शक्ति हैं। इसी दिन प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम नेता के रूप में चुना। इस निर्णय ने आंदोलन को और अधिक वैधता और दिशा दी।

संगठन और नेतृत्व

इस आंदोलन का संचालन “हामी नेपाल” नामक गैर-लाभकारी संगठन ने किया। इसकी स्थापना 2015 में सुडान गुरुंग ने की थी। यह संगठन पहले प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकटों के दौरान राहत कार्यों के लिए जाना जाता था। GEN Z protests in Nepal ने लेकिन इस बार इसने युवाओं की आवाज को संगठित किया। आंदोलन की खास बात यह रही कि इसमें किसी भी राजनीतिक दल की भूमिका नहीं थी। इस वजह से इसे “जनता बनाम सत्ता” का असली आंदोलन कहा गया। संगठन ने प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ तरीके से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

भारत और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

भारत: भारत ने नेपाल की स्थिति को लेकर चिंता जताई और अपने नागरिकों को नेपाल यात्रा स्थगित करने की सलाह दी। साथ ही, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई। भारत की सरकार ने नेपाल से अपील की कि वह स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से संभाले।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय: संयुक्त राष्ट्र ने नेपाल में हुई हिंसा पर गहरा दुख व्यक्त किया और सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की। बांग्लादेश सहित कई देशों ने भी चिंता जताई। यूरोपीय संघ और अमेरिका ने कहा कि युवाओं की आवाज को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए और नेपाल सरकार को पारदर्शिता और संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।

नेपाल का GEN Z protests in Nepal आंदोलन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ एक तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक और राजनीतिक असंतोष का परिणाम था। यह आंदोलन दिखाता है कि नई पीढ़ी सिर्फ दर्शक नहीं बल्कि परिवर्तन की वाहक है।

GEN Z protests in Nepal युवाओं ने यह संदेश दिया कि वे अब भ्रष्टाचार, असमानता और अवसरों की कमी को चुपचाप सहन नहीं करेंगे। हालांकि सरकार ने इस्तीफा और सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने जैसे कदम उठाए, लेकिन आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें — जैसे रोजगार के अवसर, शिक्षा में सुधार, भ्रष्टाचार पर कठोर कार्रवाई और पारदर्शी शासन — अभी पूरी नहीं हुई हैं। यह आंदोलन आने वाले वर्षों में नेपाल की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।

नेपाल का यह संघर्ष हमें यह सिखाता है कि जब युवा अपनी आवाज़ बुलंद करते हैं, तो सत्ता को झुकना ही पड़ता है।

Gen Z Protests in Nepal

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