तीन लोगों के डीएनए-DNA से पैदा हुआ बच्चा, पूरी खबर जाने कैसे।

ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी तकनीक, माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial डोनेशन ट्रीटमेंट (MDT) या माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial रिप्लेसमेंट थेरेपी (MRT), DNA के जरिए आठ बच्चों को जन्म दिया है, जिनमें तीन लोगों का डीएनए शामिल है। इस तकनीक का उद्देश्य माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial बीमारियों, जो मां से बच्चे में अनुवांशिक रूप से स्थानांतरित हो सकती हैं, को रोकना है। यह तकनीक ब्रिटेन में पिछले एक दशक से कानूनी है, और हाल ही में इसके परिणामों ने वैज्ञानिक समुदाय और समाज में नई उम्मीद जगाई है।

माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी क्या है? What is mitochondrial disease?

mitochondrial disease

माइटोकॉन्ड्रिया-Mitochondrial कोशिकाओं का “पावर हाउस” होता है, जो भोजन को ऊर्जा में बदलता है। अगर माइटोकॉन्ड्रिया में कोई दोष होता है, तो यह माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial बीमारी का कारण बन सकता है। ये बीमारियां गंभीर होती हैं और इनका कोई इलाज नहीं है। इसके लक्षणों में मांसपेशियों की कमजोरी, हृदय विफलता, मस्तिष्क संबंधी समस्याएं, और विकास में देरी शामिल हो सकती हैं। हर 5,000 बच्चों में से एक को यह बीमारी हो सकती है, और यह अक्सर मां से बच्चे में स्थानांतरित होती है।

तीन लोगों के डीएनए-DNA की तकनीक कैसे काम करती है?

DNA of three people
  • इस तकनीक में माता-पिता के डीएनए के साथ एक डोनर महिला के स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial डीएनए-DNA का उपयोग किया जाता है। प्रक्रिया इस प्रकार है।
  • निषेचन, मां के अंडाणु को पिता के शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है, जिससे एक जायगोट (निषेचित अंडाणु) बनता है।
  • न्यूक्लियस स्थानांतरण, इस जायगोट से माता-पिता का न्यूक्लियस (जो 99.8% डीएनए-DNA होता है) निकाला जाता है। मां के अंडाणु में मौजूद दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया-Mitochondrial को हटा दिया जाता है।
  • डोनर का योगदान, एक स्वस्थ डोनर महिला के अंडाणु से स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया लिया जाता है, जिसमें न्यूक्लियस नहीं होता। माता-पिता का न्यूक्लियस इस डोनर अंडाणु में स्थानांतरित किया जाता है।
  • भ्रूण निर्माण, यह नया भ्रूण, जिसमें माता-पिता का न्यूक्लियस डीएनए-DNA और डोनर का माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial डीएनए होता है, मां के गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है।
  • जन्म, परिणामस्वरूप पैदा होने वाला बच्चा माता-पिता से आनुवंशिक रूप से जुड़ा होता है, लेकिन माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial बीमारी से मुक्त होता है। डोनर का डीएनए-DNA केवल 0.1% से 0.2% होता है, जो बच्चे के रंग-रूप या व्यक्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं डालता।

ब्रिटेन में इस तकनीक की प्रगति Progress of this technology in the UK

कानूनी मंजूरी, ब्रिटेन की संसद ने 2015 में इस तकनीक को मंजूरी दी थी, जिससे यह दुनिया का पहला देश बना जहां यह प्रक्रिया कानूनी रूप से संचालित की जा सकती है।

न्यूकैसल फर्टिलिटी सेंटर, न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को विकसित किया। अब तक 22 परिवार इस प्रक्रिया से गुजर चुके हैं, और आठ बच्चे (चार लड़के और चार लड़कियां, जिनमें एक जुड़वां जोड़ी शामिल है) इस तकनीक से पैदा हुए हैं। ये बच्चे 6 महीने से 2 साल की उम्र के हैं और स्वस्थ हैं।

mitochondrial

स्वास्थ्य परिणाम, छह बच्चों में मां के दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial डीएनए 95-100% कम पाया गया, जबकि दो में 77-88% कम। एक बच्चे में हृदय की लय में मामूली बदलाव देखा गया, जो उपचार से ठीक हो गया। सभी बच्चों का विकास सामान्य है।

ऐतिहासिक संदर्भ Historical Try

पहला मामला, 2016 में मेक्सिको में इस DNA तकनीक से एक बच्चे का जन्म हुआ था, लेकिन ब्रिटेन में यह प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित और कानूनी रूप से नियंत्रित है।

सुपर बेबी, 2023 में ब्रिटेन में पैदा हुए पहले बच्चे को “सुपर बेबी” कहा गया, क्योंकि यह माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों से पूरी तरह मुक्त था। इसे न्यूकैसल फर्टिलिटी सेंटर में विकसित किया गया था।

नैतिक और सामाजिक सवाल Moral and social questions

इस तकनीक ने कई नैतिक सवाल भी खड़े किए हैं।

 social questions

पारदर्शिता, कुछ आलोचकों का कहना है कि इस तकनीक को पहले सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया गया, जिससे अन्य शोधकर्ताओं को इसका लाभ नहीं मिल सका।

“डिजाइनर बेबी” की आशंका, कुछ लोग इसे “डिजाइनर बेबी” बनाने की दिशा में पहला कदम मानते हैं, जिससे भविष्य में जेनेटिक इंजीनियरिंग के दुरुपयोग की संभावना बढ़ सकती है।

सामाजिक स्वीकार्यता, तीन माता-पिता वाले बच्चे की अवधारणा कुछ समाजों में विवादास्पद हो सकती है, क्योंकि यह पारंपरिक परिवार की संरचना को चुनौती देती है।

विशेषज्ञों की राय क्या है What is the opinion of experts

लिज़ कर्टिस (लिली फाउंडेशन), यह तकनीक उन परिवारों के लिए वरदान है जो माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों से जूझ रहे हैं। स्वस्थ बच्चों को देखकर माता-पिता के चेहरों पर राहत और खुशी देखना अद्भुत है।

प्रोफेसर बॉबी मैकफारलैंड (एनएचएस) यह तकनीक गंभीर बीमारियों से मुक्ति का रास्ता दिखाती है। यह वैज्ञानिक उपलब्धि माता-पिता के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।

आलोचक, कुछ वैज्ञानिक और नैतिक विशेषज्ञ इसे विज्ञान के साथ खिलवाड़ मानते हैं, क्योंकि इसके दीर्घकालिक प्रभावों का अभी पूरी तरह अध्ययन नहीं हुआ है।

तीन लोगों के डीएनए-DNA से पैदा हुए बच्चे मेडिकल साइंस में एक मील का पत्थर हैं। यह तकनीक न केवल माइटोकॉन्ड्रियल-Mitochondrial बीमारियों से मुक्ति दिलाती है, बल्कि उन परिवारों को नई उम्मीद देती है जो अनुवंशिक बीमारियों के कारण बच्चे खोने का दर्द झेल चुके हैं। हालांकि, इसके नैतिक और सामाजिक पहलुओं पर अभी और चर्चा की जरूरत है। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की यह उपलब्धि भविष्य में अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है, बशर्ते इसे सावधानी और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए।

Leave a Comment